अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
Devotees who chant these verses with powerful enjoy develop into prosperous by the grace of Lord Shiva. Even the childless wishing to possess small children, have their dreams fulfilled right after partaking of Shiva-Prasad with religion and devotion.
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O Common Lord, just about every morning to be a rule I recite this Chalisa with devotion. Be sure to bless me to ensure I could possibly complete my materials and spiritual desires.
अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी ।
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
शनिदेव मैं सुमिरौं तोही। विद्या बुद्धि ज्ञान दो मोही॥ तुम्हरो नाम अनेक बखानौं। क्षुद्रबुद्धि Shiv chaisa मैं जो कुछ जानौं॥
संकट में पूछत नहिं कोई ॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥